- Business to Business (B2B)
- Business to consumer(B2C)
- Consumer to Consumer(C2C)
- Business to Government(B2G)
Business to Business (B2B):-
एक व्यापारी से दूसरे व्यापारी के बीच लेनदेन करने के लिए Business to Business मोडेल का प्रयोग किया जाता है
जैसे:-कोई कंपनी खुद कोई प्रोडक्ट नही बनाती है और किसी दूसरी कंपनी से खरीद कर फिर अपना समान बेचती है तो वो B2B के अंतर्गत आता है
Business to consumer(B2C):-
- इस ई कॉमर्स मे एक बिसिनेस और consumer के बीच लेनदेन होता है ,बिजनेस मैन और seller के बीच को लेनदेन होता है
जैसे :- Flipkart and Amazon,etc
Consumer to Consumer(C2C):
यह दो Consumers यानी दो उपभोक्ताओं के बीच लेनदेन होता है । इसमे दो उपभोक्ताओं द्वारा आपस में कुछ खरीदा और बेचा जाता है।
जैसे :- eBay, OLX
- E Governance:-
- इस प्रकार में कंपनियों या consumer(कोंसुमर) सार्वजनिक प्रशासन या सरकार के बीच ऑनलाइन किए गए सभी लेनदेन शामिल हैं। खासतौर पर वित्तीय, सामाजिक सुरक्षा, रोजगार, कानूनी दस्तावेज और रजिस्ट्रार आदि
जैसे:- GST
Four C’s (Convergence, collaborative, computer content management and call center)
- Convergence
- collaborative
- computer content management
- call center
- Convergence(साथ मिलकर काम करना ):-
ई कॉमर्स मे कंवर्जेंस का प्रयोग अधिक लोग किसी कार्य को एक साथ मिलकर कैसे करते है,
उदाहरण के लिए: – इंटरनेट और इलेक्ट्रॉनिक व्यापार, सेल फोन प्रौद्योगिकी, कम्प्यूटरीकृत फिल्म गतिविधि, स्ट्रीमिंग संगीत और वीडियो उच्च परिभाषा टीवी (एचडीटीवी, 3 डी, 4 डी) वीडियो गेम फ्रेमवर्क
- Collaborative( सहयोग ):-
ई कॉमर्स मे दो या अधिक व्यक्तियों या बिजनेस का मिलकर काम करना ही सहयोग कहलाता है, सहयोग की प्रक्रिया में ज्ञान का बारंबार तथा सभी दिशाओं में आदान-प्रदान होता है/
- computer content management(सामग्री प्रबन्धन प्रणाली):-
ऐसा कम्प्यूटर अनुप्रयोग है जो भिन्न-भिन्न प्रकार के डिजिटल मिडिया इलेक्ट्रानिक टेक्स्ट का सृजन करने, सम्पादन करने, प्रबन्धन करने, खोजने एवं प्रकाशित करने के काम आता है। प्रबन्ध करने के योग्य सामग्री में कम्प्यूटर संचिकाएँ, छबियाँ (इमेजेज), ऑडियो संचिकाएँ, विडियो संचिकाएँ, इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेज तथा वेब-सामाग्री आदि हो सकती है। “वेब कन्टेन्ट मनेजमेन्ट”, “डिजिटल असेट मैनेजमेन्ट”, “डिजिटल रेकार्ड्स् मैनेजमेन्ट”, “इलेक्ट्रानिक कन्टेन्ट मैनेजमेन्ट” आदि इसके अन्य नाम हैं।
- call center:-
हम अपनी समस्या के समाधान के लिए कस्टमर केयर में कॉल करते है। कस्टमर केयर में कॉल करना मतलब Call Center में कॉल करना होता है। आज सभी कंपनियां अपने ग्राहकों को बेहतरीन कस्टमर सर्विस देना चाहती है। इसलिए वह Call Center की मदद लेते है।
Supply chain management:- Supply chain management मे प्रोडक्ट को मैनेज किया जाता है,और स्टाक को मैनेज किया जाता है जिसमे सही प्रोडक्ट को सही समय मे उपभोक्ता को डिलीवर किया जाता है Supply chain management चैन की प्रक्रिया उत्पादक से थोक विक्रेता से फुटकर विक्रेता से ग्राहक तक प्रोडक्ट पहुचाने की प्रक्रिया है,इसे scm कहते है /
जैसे :- प्रोडक्ट की जानकारी ,प्रोडक्ट टाइटल ,आदि
• supplier (आपूर्तिकर्ता):- एक supplier जो है वह raw material उपलब्ध कराता है जिससे कि
प्रोडक्ट का निर्माण किया जाता है.
supplier जो है वह vendor से पूरी तरह भिन्न होता है, supplier किसी कंपनी को raw materials सप्लाई करता है जबकि vendor प्रोडक्ट्स को customers को बेचता है.
• manufacturer (उत्पादक):- एक उत्पादक वह होता है जो आपूर्तिकर्ता से raw material प्राप्त
करता है तथा उससे प्रोडक्ट का निर्माण करता है.
• customer (ग्राहक):- ग्राहक वह होता है जो निर्मित हुए प्रोडक्ट को प्राप्त करता है तथा यह
सप्लाई chain का अंतिम लिंक होता है.
benefits (advantage) of Supply Chain Management:-
इसके निम्नलिखित लाभ है:-
1:- इसमें डेटा ट्रान्सफर ऑनलाइन होता है जिससे कागजी कार्यवाही नही करनी पडती है.
2:- इससे wholeseller तथा distributor संतुष्ट होते है क्योंकि प्रोडक्ट सही समय में सही व्यक्ति को प्राप्त होता है.
3:- इसमें गलतियों की सम्भावना बहुत कम होती है.
4:- यह बहुत सस्ता है.
5:- इसमें प्रोडक्ट की डिलीवरी की गति बहुत तेज होता है.
6:- क्वालिटी बहुत ही अच्छी होती है.
7:- एक कुशल SCM क्वालिटी को बनाये रखता है तो वह कस्टमर को satisfy कर देता है.